9789355592354: दान की महिमा: Dynamic Aspects of Charity

Inhaltsangabe

दान के कई बड़े बड़े कारनामे भी हमें याद तो होंगे ही | कहते हैं राजा हरिश्चंद्र श्री गंगा के तट पर खड़े खड़े सबकुछ दान कर दिया करते थे | इस दानवीरता के क्रम में श्री महाबली का नाम भी आता है; जिन्हें दान वीरता के कारण ईश्वर के पैरों तले दबना पड़ा, फिर भी अडिग रहे | जिन्होंने भी दान दिया और जिन्होंनने भी दान लिया, क्या दोनों समूहों में कुछ ख़ास रिश्ते बन भी पाते हैं, या फिर यह सिलसिला एकतरफ़ा ही रह जाता है? क्या दान देनेवालों को हर समय देते ही रहना होगा, या फिर माँगने की भी नौबत आ सकती है?
कहते हैं हर चीज़ में अधिकता कभी भी शास्त्र संगत नहीं हो सकता; राजा बलि को उस अधिकता से रोकने के लिए ही वामनावतार के रूप में विष्णु प्रकट हो गये थे, पर वो ऐसा न कर पाए |

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